मैथिल विवाह मे दूर्वाक्षतक बड महत्व छैक आ चुमाओन जतेक बेर होयत छैक एहि मंत्रक काज परैत छैक। आय काल्हि दूर्वाक्षतक मंत्र याद रखनाइ एकटा समस्या भs गेल छैक खास कs शहर मे। ओना त पञ्चांग मे मंत्र रहैत छैक मुदा कतहु कतहु पञ्चांग नहि रहैत छैक आ नेट अवश्य रहैत छैक।
दूर्वाक्षतक मंत्र:
ॐ आब्रह्मन ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्यौsतिव्याधि महारथी जायताम दोघ्री धेनुर्वोढा sनड्वानाशुः सप्ति पुरन्ध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवाsस्ययजमानस्य वीरोजायाताम निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न औषधयः पच्यन्ताम योगक्षेमोनः कल्पताम् मंत्रार्था: सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रुणां बुद्धिनाशोsस्तु मित्राणामुदस्तव।
Sunday, August 16, 2009
Thursday, August 13, 2009
कनक भूधर ( भगवती स्तोत्र)
कवि कोकिल विद्यापति
कनक-भूधर-शिखर-बासिनी
चंद्रिका-चय-चारु-हासिनि
दशन-कोटि-विकास-बंकिम-
तुलित-चंद्रकले ।।
क्रुद्ध-सुररिपु-बलनिपातिनि
महिष- शुम्भ-निशुम्भघातिनि
भीत-भक्त-भयापनोदन -
पाटव -प्रबले।।
जे देवि दुर्गे दुरिततारिणि
दुर्गामारी - विमर्द -कारिणि
भक्ति - नम्र - सुरासुराधिप -
मंगलप्रवरे ।।
गगन - मंडल - गर्भगाहिनि
समर - भूमिषु - सिंहवाहिनि
परशु - पाश - कृपाण - सायक -
संख -चक्र-धरे ।।
अष्ट - भैरवी - सँग - शालिनी
स्वकर - कृत - कपाल- मालिनि
दनुज - शोणित -पिशित - वर्द्धित-
पारणा-रभसे।।
संसारबन्ध - निदानमोचिनी
चन्द्र - भानु - कृशानु - लोचनि
योगिनी - गण - गीत - शोभित -
नित्यभूमि - रसे ।।
जगति पालन - जन्म - मारण -
रूप - कार्य - सहस्त्र - कारण -
हरी - विरंचि - महेश - शेखर -
चुम्ब्यमान - पड़े। ।
सकल - पापकला - परिच्युति-
सुकवि - विद्यापति - कृतस्तुति
तोषिते - शिवसिंह - भूपति -
कामना - फलदे।।
Wednesday, August 12, 2009
गौरा तोर अंगना (महेशवाणी आ नचारी)
कवि कोकिल विद्यापति
गौरा तोर अंगना।
बर अजगुत देखल तोर अंगना।
एक दिस बाघ सिंह करे हुलना ।
दोसर बरद छैन्ह सेहो बौना।।
हे गौरा तोर ................... ।
कार्तिक गणपति दुई चेंगना।
एक चढथि मोर एक मुसना।।
हे गौर तोर ............ ।
पैंच उधार माँगे गेलौं अंगना ।
सम्पति मध्य देखल भांग घोटना ।।
हे गौरा तोर ................ ।
खेती न पथारि शिव गुजर कोना ।
मंगनी के आस छैन्ह बरसों दिना ।।
हे गौरा तोर ............... ।
भनहि विद्यापति सुनु उगना ।
दरिद्र हरन करू धएल सरना ।।
यज्ञोपवीत मंत्र
बाजसनेयी केर यज्ञोपवीत मंत्र
ॐ यज्ञोपवीतम परमं पवित्रं प्रजा पतेर्यत्सहजं पुरस्तात् । आयुष्यमग्रयं प्रतिमुंञ्च शुभ्रं। यज्ञोपवितम् बलमस्तुतेज:।।
छन्दोग केर यज्ञोपवीत मंत्र
ॐ यज्ञो पवीतमसि यज्ञस्य त्वोपवीतेनोपनह्यामि।
पंचांग
मैथिली पंचांग
सन् १४१७ साल (अंग्रेजी २००९-२०१० ई.)
विक्रम सं. - २०६६ - ६७
Festivals this year 1417 Saal (8 July 2009 - 26 July 2010)
सन् १४१७ साल (अंग्रेजी २००९-२०१० ई.)
विक्रम सं. - २०६६ - ६७
Festivals this year 1417 Saal (8 July 2009 - 26 July 2010)
Festival | Date | Tithi Duration IST Hours | Remarks | |
From | To | |||
Mauna Panchami Madhushravani begins | 12 Jly | (11/7)2051 | (12/7)2148 | In Mithila this day is celebrated as Nag Panchami. |
Madhushravani ends | 24 July | (24/7)0328 | (25/7)0116 | Special day for newly married |
Nag Panchami | 26 Jul | (25/7)2320 | (26/7)2149 | |
Raksha Vandhan | 5 Aug | (5/8)0311 | (6/8)0411 | |
Krishnastami | 14 Aug | (13/8)0935 | (14/8)0712 | Krishna Jayanti Vrat is on 13 Aug. |
Hartalika (Teej) | 23 Aug | (22/8)1122 | (23/8)0946 | |
GaneshChauth ChauthChandra | 23 Aug | (23/8)0946 | (24/8)0834 | Morning pooja of Ganesh Pradosh pooja of Chandrama |
Karma Dharma Ekadashi | 31 Aug | (30/8)1113 | (31/8)1306 | |
Anant Caturdashi | 3 Sep | (2/9)1710 | (3/9)1859 | |
Pitri Paksha begins | 5 Sep | (4/9)2029 | (5/9)2133 | |
Vishwakarma Pooja | 17Sep | |||
Jimutbahan Brat (Jitia) | 11 Sep | (11/9)1752 | (12/9)1545 | Mothers fast on this day for the welfare of their sons. |
Matri Navami | 13 Sep | (12/9)1544 | (13/9)1338 | |
Pitri Paksha ends | 18 Sep | (18/9)0152 | (18/9)2356 | |
Kalashsthapan | 19 Sep | (18/9)2356 | (19/9)2220 | |
Mahastami | 26 Sep | (25/9)2215 | (26/9)2358 | |
Maha Navami | 27 Sep | (26/9)2358 | (28/9)0146 | |
Vijaya Dashami | 28 Sep | (28/9)0146 | (29/9)0353 | |
Kojagara | 3 Oct | (3/10)1026 | ( 4/10)1106 | Pooja in Pradosh(evening) |
Dhanteras | 15 Oct | (15/10)1451 | (16/10)1320 | |
Chaturdashi(ChhotiDivali) | 16 Oct | (16/10)1320 | (17/10)1147 | |
Deepavali | 17 Oct | (17/10)1147 | (18/10)1034 | Pooja in Pradosh(evening) |
Bhratridwitiya | 20 Oct | (19/10)0949 | (20/10)0934 | Sisters perform 'naut' to brothers |
Chhath (Sandhya) | 23 Oct | (23/10)1152 | (24/10)1337 | Kharna on previous day and parna on next |
Akshyay Navami | 27 Oct | (26/10)1756 | (27/10)1743 | |
Devotthan Ekadashi | 29 Oct | (28/10)2137 | (29/10)2303 | |
Kartik Poornima | 2 Nov | (2/11)0110 | (3/11)0048 | Sama Bisarjan/ Guru Nanak Jayanti |
Ravi vrat arambh | 22 Nov | Sunday | ||
Makara Sankranti Teela Sankranti | 14 Jan | Tusari begins | ||
Naraknivaran chaturdashi | 13 Jan | (13/1)0822 | (14/1)1000 | Pradosh |
Basant Panchami | 20 Jan | (19/1)1948) | (20/1)2124) | |
Mahashivaratri | 12 Feb | (12/2)0251 | (13/2)0505 | Fast for the day, Mahadeo pooja in pradosh |
Poornima/Holika dahan(Fagua) | 28 Feb | (28/2)0032 | (28/2)2234 | Holika dahan in previous night. Fagua in Mithila & Dol in Bengal |
Holi (1 of Chaitra) | 1 Mar | (28/2)2234 | (1/3)2000 | Also new year day |
Vikram sambat 2067 | 16 Mar | Begins at 0140 IST | ||
Ram Navami | 24 Mar | (23/3)2326 | (24/3)2132 | |
Mesha Sankranti (Satua) | 14 April | Shaka 1930 begins | ||
Jurishital | 15 April | |||
Akshaya Tritiya | 16 May | ( 16/5)0441 | (17/5)0255 | |
Ravi Brat Ant | 25 Apr | Sunday | ||
Vat Savitri | 12 Jun | (11/6)1746 | (12/6)1640 | |
Hari Sayan Ekadashi | 21 Jul | (21/7)0419 | (22/7)0329 | |
Guru Poornima | 25 Jul | (6/7)1147 | (7/7)1338 |
विवाह,उपनयनक दिन
Marriage: (Saurath Sabha: Jul 8-Jul 14 2010) | Upnayan | Dwiragman | Mundan | Grih arambh | Griha pravesh | |
July 09 | 8,10,31 | 27,30,31 | ||||
August 09 | 7,8,10 | 1,3,5 | ||||
October 09 | 28,29 | 22,28,29,31 | ||||
Nov 09 | 19,22,23,27 | 18,19,27 | 18,23 | 2,5,28 | 23,28 | |
Dec 09 | 3,4 | 3 | 2,3 | |||
January 10 | 18 | |||||
February 10 | 15,17,18,21,22,24,25,26 | 3,15,18,25,26 | 25,26 | 18,24.25,26 | ||
March 10 | 1,4,5 | 3,5 | 3,5 | |||
April 10 | ||||||
May 10 | ||||||
June 10 | 2,3,6,7,13,17,18,20,21,23,24,25,27,28,30 | 21,22 | 21,26,28 | 17,21 | ||
July 10 | 1,8,9,14 | 1 | 21,26 | 21,23 |
Sunday, August 9, 2009
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय ( पंचाक्षर )
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम
उर्वारुक मिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ।
कहते हैं शिव जी अर्थात भोला बाबा या भोले दानी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें यदि प्रतिदिन जल चढाई जाय तो वो उससे भी प्रसन्न रहते है। वैसे तो लोगों का अलग अलग मत है पर यदि भोला बाबा को मन से अपने अपने घरों में भी याद की जाय तो वे अपने भक्तों को निराश नहीं करते।
उर्वारुक मिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ।
कहते हैं शिव जी अर्थात भोला बाबा या भोले दानी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें यदि प्रतिदिन जल चढाई जाय तो वो उससे भी प्रसन्न रहते है। वैसे तो लोगों का अलग अलग मत है पर यदि भोला बाबा को मन से अपने अपने घरों में भी याद की जाय तो वे अपने भक्तों को निराश नहीं करते।
(1 )
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मंगरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुध्याय दिगम्बराय
तस्मै न काराय नमः शिवाय ।।
मंदा किनी सलिल चन्दन चर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथ नाथ महेश्वराय।
मंदार पुष्प बहु पुष्प सुपूजिताय
तस्मै म काराय नमः शिवाय ।।
शिवाय गौरी बदनाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षा ध्वरनाशकाय।
श्री नील कंठाय वृषध्वजाय
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ।।
वसिष्ठ कुम्भो द्भव गौतमार्य-
मुनीन्द्र देवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्क वैश्वा नरलोचलाय
तस्मै व काराय नमः शिवाय।।
यक्षस्व रूपाय जटाधराय
पिनाक हस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै य काराय नमः शिवाय ।।
पंचाक्षर मिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिव लोक म़वा प्नोति शिवेन सः मोदते।।
Wednesday, August 5, 2009
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन केर मंत्र
येन बन्धो बलि राजा दान वेन्द्रो महाबलः ।
तेनत्वा प्रतिबधनामि रक्षे माचल माचल: ।।
येन बन्धो बलि राजा दान वेन्द्रो महाबलः ।
तेनत्वा प्रतिबधनामि रक्षे माचल माचल: ।।
Sunday, August 2, 2009
भोला बाबा के गीत
मिथिला में शिव आ शक्ति केर पूजा होइत छैक। कोनो पाबनि हो बियाह हो कि उपनयन, बिना भोला बाबा आ भगवती के गीत के ओ संपन्न नहि भs सकैत छैक। मोन भेल, जे सब net प्रयोग करैत छथि हुनका लोकनि के लेल किछु भगवतीक गीत, महेशवाणी आ नचारीक संग्रह एकहि ठाम रहे तs हुनका लोकनि के सुविधा भs जयतैन्ह।
महेशवाणी आ नचारी
(१)
कखन हरब दुःख मोर
हे भोलानाथ।
दुखहि जनम भेल दुखहि गमाओल
सुख सपनहु नहि भेल हे भोला ।
एहि भव सागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु करुआर ;हे भोलानाथ ।
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय बर मोहि, हे भोलानाथ।
(२)
हम नहि आजु रहब अहि आँगन
जं बुढ होइत जमाय, गे माई।
एक त बैरी भेल बिध बिधाता
दोसर धिया केर बाप।
तेसरे बैरी भेल नारद बाभन ।
जे बुढ अनल जमाय। गे माइ ।।
पहिलुक बाजन डामरू तोड़ब
दोसर तोड़ब रुण्डमाल ।
बड़द हाँकि बरिआत बैलायब
धियालय जायब पदायागे माइ । ।
धोती लोटा पतरा पोथी
सेहो सब लेबनि छिनाय।
जँ किछु बजताह नारद बाभन
दाढ़ी धय घिसियाब, गे माइ। ।
भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि
दिढ़ करू अपन गेआन ।
सुभ सुभ कय सिरी गौरी बियाहु
गौरी हर एक समान, गे माइ।।
(३)
हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी ।...2
नारद बभनमा सs केलैन्ह बिचारी
बर बूढा लयला भिखारी । ...२
हिमाचल .................२
ओहि बुढ़वा के बारी नय झारी
पर्वत के ऊपर घरारी..........2
हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी।.......2
भनहि विद्यापति सुनु हे मनाइन
इहो थिका भंगिया भिखारी.........2
हिमाचल किछुओ नय केलैन्ह बिचारी।.....2
(४)
भल हरि भल हरि भल तुअ, कला।
खन पित बसन खनहि बघछला ।।
खन पंचानन खन भुजचारि ।
खन शंकर खन देव मुरारि ।।
खन गोकुल भय चराई गाये ।
खन भिखि मांगिए डमरू बजाए ।।
खन गोविद भए लेअ महादान।
खनहि भसम भरू कांख बोकान ।।
एक सरीर लेल दुइ बास।
खन बैकुंठ खनहि कैलास।।
भनहि विद्यापति विपरीत बानि।
ओ नारायण ओ सुलपानि।।
(५)
आजु नाथ एक व्रत महा सुख लागल हे।
तोहे सिव धरु नट भेस कि डमरू बजाबह हे। ।
तोहे गौरी कहैछह नाचय हमें कोना नाचब हे।।
चारि सोच मोहि होए कोन बिधि बाँचब हे।।
अमिअ चुमिअ भूमि खसत बघम्बर जागत हे।।
होएत बघम्बर बाघ बसहा धरि खायत हे।।
सिरसँ ससरत साँप पुहुमि लोटायत हे ।।
कातिक पोसल मजूर सेहो धरि खायत हे।।
जटासँ छिलकत गंगा भूमि भरि पाटत हे।।
होएत सहस मुखी धार समेटलो नही जाएत हे।।
मुंडमाल टुटि खसत, मसानी जागत हे।।
तोहें गौरी जएबह पड़ाए नाच के देखत हे।।
भनहि विद्यापति गाओल गाबि सुनाओल हे।।
राखल गौरी केर मान चारु बचाओल हे।
(१)
कखन हरब दुःख मोर
हे भोलानाथ।
दुखहि जनम भेल दुखहि गमाओल
सुख सपनहु नहि भेल हे भोला ।
एहि भव सागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु करुआर ;हे भोलानाथ ।
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय बर मोहि, हे भोलानाथ।
(२)
हम नहि आजु रहब अहि आँगन
जं बुढ होइत जमाय, गे माई।
एक त बैरी भेल बिध बिधाता
दोसर धिया केर बाप।
तेसरे बैरी भेल नारद बाभन ।
जे बुढ अनल जमाय। गे माइ ।।
पहिलुक बाजन डामरू तोड़ब
दोसर तोड़ब रुण्डमाल ।
बड़द हाँकि बरिआत बैलायब
धियालय जायब पदायागे माइ । ।
धोती लोटा पतरा पोथी
सेहो सब लेबनि छिनाय।
जँ किछु बजताह नारद बाभन
दाढ़ी धय घिसियाब, गे माइ। ।
भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि
दिढ़ करू अपन गेआन ।
सुभ सुभ कय सिरी गौरी बियाहु
गौरी हर एक समान, गे माइ।।
(३)
हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी ।...2
नारद बभनमा सs केलैन्ह बिचारी
बर बूढा लयला भिखारी । ...२
हिमाचल .................२
ओहि बुढ़वा के बारी नय झारी
पर्वत के ऊपर घरारी..........2
हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी।.......2
भनहि विद्यापति सुनु हे मनाइन
इहो थिका भंगिया भिखारी.........2
हिमाचल किछुओ नय केलैन्ह बिचारी।.....2
(४)
भल हरि भल हरि भल तुअ, कला।
खन पित बसन खनहि बघछला ।।
खन पंचानन खन भुजचारि ।
खन शंकर खन देव मुरारि ।।
खन गोकुल भय चराई गाये ।
खन भिखि मांगिए डमरू बजाए ।।
खन गोविद भए लेअ महादान।
खनहि भसम भरू कांख बोकान ।।
एक सरीर लेल दुइ बास।
खन बैकुंठ खनहि कैलास।।
भनहि विद्यापति विपरीत बानि।
ओ नारायण ओ सुलपानि।।
(५)
आजु नाथ एक व्रत महा सुख लागल हे।
तोहे सिव धरु नट भेस कि डमरू बजाबह हे। ।
तोहे गौरी कहैछह नाचय हमें कोना नाचब हे।।
चारि सोच मोहि होए कोन बिधि बाँचब हे।।
अमिअ चुमिअ भूमि खसत बघम्बर जागत हे।।
होएत बघम्बर बाघ बसहा धरि खायत हे।।
सिरसँ ससरत साँप पुहुमि लोटायत हे ।।
कातिक पोसल मजूर सेहो धरि खायत हे।।
जटासँ छिलकत गंगा भूमि भरि पाटत हे।।
होएत सहस मुखी धार समेटलो नही जाएत हे।।
मुंडमाल टुटि खसत, मसानी जागत हे।।
तोहें गौरी जएबह पड़ाए नाच के देखत हे।।
भनहि विद्यापति गाओल गाबि सुनाओल हे।।
राखल गौरी केर मान चारु बचाओल हे।
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