Monday, October 22, 2018

भद्र काली हमर कष्ट जल्दी हरु


भद्र काली हमर कष्ट जल्दी हरु
पुत्र हमहु अहाँ के पड़ल छी गरु

पाठ पूजा नहि जानि कोना हम करू
चित्त चंचल सदा ध्यान कोना धरु 
भद्र काली ............................

अम्बे हरदम अहिं के जपब हम बरु 
आस माता हमर शीघ्र पूरन करू
भद्र काली .............................

दिय दर्शन सदा निज भक्तन के बरु 
दीन बच्चाके आशा के पूरण करू
भद्र काली .............................




पहचान सको तो पहचान कण-कण में छुपे हैं भगवन



पहचान सको तो पहचान कण-कण में छुपे हैं भगवन 

सूरज की रौशनी चँदा की चाँदनी तारों की झिलमिल छाया 
पर्वत गुफाएं नदिया औ झरना  सबमे उसी की है माया 
सृष्टि को मिला है वरदान कण-कण में झुपे हैं भगवान
पहचान सको तो पहचान ..........................................

जन्म से पहले जीव मात्र का तुम्हीं हो पालन हारा 
हाड़- मांस औ रुधिर सुधिर से स्वच्छ दूध की धारा 
दिया दााता ने जीवन का दान कण-कण में छुपे हैं भगवान
पहचान सको तो पहचान ...........................................

Thursday, October 18, 2018

आरती शंकर जी की




"आरती शंकर जी की "

आरती करो हर हर की करो नटवर की भोले शंकर की, आरती करो शंकर की 

सिर पर शशि का मुकुट सवाँरे, तारों के पायल झनकारे
धरती अम्बर डोले तांडव, लीला की नटवर की, आरती करो शंकर की

फण का हार पहनने वाले, शम्भो हैं जग के रखवाले
सकल चरा चर वो डमरू धर, ऊँगली पर विष धर की, आरती करो शंकर की 

महा देव जय जय शिव शंकर, जय गंगा धर जय डमरू धर, 


हे देवों के देव मिटायो, विपदा अब घर घर की, आरती करो शंकर की 


शिवदानी तू नजा नजा



शिव दानी तू नजा नजा, मन में तू बस जा
हर हर बम बम शब्द सुना, डिम डिम डमरू बजाबजा 
शिव दानी तू नजा नजा .....................

नित्य भोर बेलपत्र चढाऊं, भांग धथुर खोजि लाऊँ
जैसे मानो वैसे मनाऊं, हर हर भोले नजा 
शिव दानी तू नजा नजा......................

करुणाकर करुणा बरसाऊँ, अमृता पान करा
नित्य रामचंद्र चन्दन लगावे , तू क्यों भस्म लगा 
शिव दानी तू नजा नजा .......................



ज्योतिर्लिङ्गानि



सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्री शैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकाल मोंकारममलेश्वरम ।।
परल्यां बैध्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम ।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ।।
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे ।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ।।
एतानि ज्यितिर्लिंगानी सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।।

Wednesday, October 17, 2018

भगवति गीत (हे जननी अहाँ जन्म सुफल करु)

हे जननि अहाँ जन्म सुफल कर 

हे जननि अहाँ जन्म सुफल करु पूजा करबहु हे अम्बे
हे जननि अहाँ जन्म सुफल करु पूजा करबहु हे अम्बे

त्रिभुवन तारिणीशत्रु संहारिणी तीन भुवन में हे अम्बे
हे जननि अहाँ ..................................................

यशोदा नंदन कंस निकंदन त्रिभुवन भंजननि हे अम्बे
हे जननी अहाँ ..................................................

लाल ध्वज पर कमल विराजे माया दृष्टि देहु हे अम्बे
हे जननि अहाँ ................................................

Tuesday, October 16, 2018

भगवती गीत (सिंह पर एक कमल राजित )

सिंह पर एक कमल राजित 

सिंह पर एक कमल राजित ताहि ऊपर भगवती 
उदित दिनकर लाल छवि निज रूप सुन्दर छाजति 
सिंह पर एक कमल .......................................
शंख गहि-गहि चक्र गहि-गहि लोक के माँ पालती 
दांत खट-खट जिह लह-लह शोणित दांत गढ़ावति
सिंह पर एक कमल .......................................
शोणित टप-टप पिबति जोगिनी विकट रूप देखावति
ब्रह्मा अयलनि विष्णु अयलनि शिवजी अयलनि एहि गति 
सिंह पर एक कमल .........................................
 
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