"देवी स्तुति"
जय जय जगजननि देवी सुर-नर-मुनि-असुर-सेवी ,
भुक्ति मुक्ति दायिनी, भय-हरण कालिका ।
मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि,
ताप-तिमिर-तरुण-तरणि-किरणमालिका ।।
वर्म, चरम कर कृपाण, शूल-शेल-धनुष-बाण,
धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका।
पूतना-पिशाच-प्रेत-डाकिनि-शाकिनि-समेत,
भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगालि-जालिका।।
जय महेश-भामिनी, अनेक-रूप-नामिनी,
समस्त-लोक-स्वामिनी, हिमशैल-बालिका।
रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम,
देहु ह्वै प्रसन्न पाहि प्रणत-पालिका।।
2 comments:
मैया रानी को कोटि कोटि नमन्…………बहुत ही सुन्दर स्तुति।
बहुत सुंदर !!
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