Friday, February 12, 2010

कखन हरब दुःख मोर (महेशवाणी आ नचारी)



मिथिला में शिव आ शक्ति केर पूजा होइत छैक। कोनो पाबनि हो बियाह हो कि उपनयन, बिना भोला बाबा आ भगवती के गीत के ओ संपन्न नहि भs सकैत छैक। मोन भेल, जे सब net प्रयोग करैत छथि हुनका लोकनि के लेल किछु भगवतीक गीत, महेशवाणी आ नचारीक संग्रह एकहि ठाम रहे तs हुनका लोकनि के सुविधा भs जयतैन्ह।
महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रस्तुत अछि किछु महेशवाणी आ नचारी ।

महेशवाणी आ नचारी

(१)

कखन हरब दुःख मोर हे भोलानाथ।
दुखहि जनम भेल दुखहि गमाओल
सुख सपनहु नहि भेल हे भोला ।
एहि भव सागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु करुआर ;हे भोलानाथ ।
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय बर मोहि, हे भोलानाथ।

9 comments:

Udan Tashtari said...

महाशिवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएँ.

मनोज कुमार said...

बड नीक लागल ई अवसर पर भोला बाबा के नचारी पढि कय। एक टा उगन द देतौं त कृपा होएत।

निर्मला कपिला said...

महाशिवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएँ.

Mithilesh dubey said...

महाशिवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएँ.

Anonymous said...

महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक बधाई

रंजना said...

कहिया हरब दुःख मोर....पता नेई कतेक दिन सँ हम ई प्राती खोजैत रहौं...भोलानाथ के कृपा सँ आई भेटल...

एई पोस्ट के हम अपना लग संग्रहित क लेलौं....
अहांक कोटिशः आभार...

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 13.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/

Kusum Thakur said...

मनोज जी ,
आपको बहुत बहुत धन्यवाद !!

Kusum Thakur said...

आप सभी साथियों को आभार !!

 
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