हमर विनय श्री रामचंद्र जी सँ कहबैंह यौ हनुमान
काशी खोजलहुँ प्रयागो खोजलहुँ , कतहु नहि
भेंटलाह राम कनेक अहाँ कहबैन्ह यौ हनुमान
हमर विनय ............................................
चलिते चलिते पाँव थकित भेल
बाटहि में भेंटलाह राम कनिक अहाँ कहबैन्ह यौ हनुमान
हमर विनय .............................................
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