हे शंकर प्रलयंकर प्रलयंकर हे त्रिशूल धारी
बाघम्बर धरणीधर उर विशाल धारी
हे शंकर.....…..........................
हाथे डमरू कराल कंठ शोभे काल व्याल
दृग युग भुज हैं विशाल, हे त्रिनेत्र धारी
हे शंकर ...................................
हे रमापति हे उमेश काटो सेवक के क्लेश
जगत पिता हे सुरेश, शंकर त्रिपुरारी
हे शंकर......…..........................
जय जय हे महाकाल तू कृपालु तू दयालु
भक्तन को कर दो निहाल , शंकर त्रिपुरारी
हे शंकर .....……...........…...........
No comments:
Post a Comment