"शिव स्तोत्र"
शंकरं, सम्प्रदम, सज्जनानंददं , शैल-कन्या-वरं, परमरम्यं।
काम-मद-मोचनं, तामरस-लोचनं, वामदेवं, भजे भावगम्यं।।
कंबु-कुंदेंदु-कर्पूर-गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
सिद्ध-सनकादि-योगीन्द्र-वृन्दारका, विष्णु-विधि-वंद्ध चरणारविंदं।।
ब्रह्म-कुल -वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट-वेषं, विभुं, वेदपारं।
नौमि करुणाकरं, गरल-गंगाधरं, निर्मलं, निर्गुणं , निर्विकारं।।
लोकनाथन शोक-शूल-निर्मूलिनं, शूलिनं मोह -तम-भूरि-भानुं।
कालकालं, कालातीतमजरं, हरं, कठिन-कलिकाल-कानन क्रिशानुं।।
तज्ञमज्ञान-पाथोधि-घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
प्रचुर-भव-भंजनं, प्रणत-जन-रंजनं, दास तुलसी शरण सानुकूलं।।
-गोस्वामी तुलसीदास-
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