बिहार का महा पर्व छठ रविवार को नहाय खाय के साथ प्रारम्भ हो जायेगा. छठ में सूर्य भगवान की आराधना की जाती है और छठ के दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा होती है. उसके दूसरे दिन उगते हुए सूर्य की पूजा कर पारण यानि व्रत तोड़ा जाता है.
नहाय खाय को नहाकर बिलकुल सात्विक भोजन की जाती है. इस दिन व्रती अरवा चावल मूंग की दाल एवं लौकी (कद्दू ) की सब्जी खाती हैं और व्रती के खाने के बाद परिवार के सभी सदस्य भी वही खाते हैं. सोमवार को खरना है, इस दिन व्रती दिन भर व्रत रख शाम में नियम निष्ठां से प्रसाद चढ़ाकर एक बार खीर खाती हैं यहाँ तक कि पानी भी उसी समय यानि एक बार ही पीती हैं. उसके बाद प्रसाद वितरण होता है
मंगलवार को छठ है और इस दिन व्रती सारा दिन उपवास रख शाम में किसी नदी या तालाब के किनारे जाकर डूबते हुए सूर्य भगवान को दूध एवं जल से अर्घ दे आराधना करती हैं. बुद्धवार को पारण है इस दिन सुबह सूर्योदय के समय सूर्य भगवान् को अर्घ देने के बाद प्रसाद वितरण कर व्रती पारण करती हैं.
सूर्य का यह व्रत बिहार में औरतें बड़े ही निष्ठां एवं भक्ति से करती हैं. मिथिला में इस दिन का एक और महत्त्व है. इस दिन से बहनें अपने भाईयों की मंगल कमाना के लिए सामा चकेबा खेलती हैं. सामा चकेबा में मिटटी की मूर्तियाँ बनती है और प्रतिदिन रात में खेला जाता है.