Friday, February 12, 2010

कखन हरब दुःख मोर (महेशवाणी आ नचारी)



मिथिला में शिव आ शक्ति केर पूजा होइत छैक। कोनो पाबनि हो बियाह हो कि उपनयन, बिना भोला बाबा आ भगवती के गीत के ओ संपन्न नहि भs सकैत छैक। मोन भेल, जे सब net प्रयोग करैत छथि हुनका लोकनि के लेल किछु भगवतीक गीत, महेशवाणी आ नचारीक संग्रह एकहि ठाम रहे तs हुनका लोकनि के सुविधा भs जयतैन्ह।
महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रस्तुत अछि किछु महेशवाणी आ नचारी ।

महेशवाणी आ नचारी

(१)

कखन हरब दुःख मोर हे भोलानाथ।
दुखहि जनम भेल दुखहि गमाओल
सुख सपनहु नहि भेल हे भोला ।
एहि भव सागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु करुआर ;हे भोलानाथ ।
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय बर मोहि, हे भोलानाथ।

 
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