Saturday, October 29, 2011

सूर्य उपासना का पर्व छठ.


बिहार का महा पर्व छठ रविवार को नहाय खाय के साथ प्रारम्भ हो जायेगा. छठ में सूर्य भगवान की आराधना की जाती है और छठ के दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा होती है. उसके दूसरे दिन उगते हुए सूर्य की पूजा कर पारण यानि व्रत तोड़ा जाता है. 

नहाय खाय को नहाकर बिलकुल सात्विक भोजन की जाती है. इस दिन व्रती अरवा चावल मूंग की दाल एवं लौकी (कद्दू ) की सब्जी खाती हैं और व्रती के खाने के बाद परिवार के सभी सदस्य भी वही खाते हैं.  सोमवार को खरना है, इस दिन व्रती दिन भर व्रत रख शाम में नियम निष्ठां से प्रसाद चढ़ाकर एक बार खीर खाती हैं यहाँ तक कि पानी भी उसी समय यानि एक बार ही पीती हैं. उसके बाद प्रसाद वितरण होता है

मंगलवार को छठ है और इस दिन व्रती सारा दिन उपवास रख शाम में किसी नदी या तालाब के किनारे जाकर डूबते हुए सूर्य भगवान को दूध एवं जल से अर्घ दे आराधना करती हैं. बुद्धवार को पारण है इस दिन सुबह सूर्योदय के समय सूर्य भगवान् को अर्घ देने के बाद प्रसाद वितरण कर व्रती पारण करती हैं. 

सूर्य का  यह व्रत बिहार में औरतें बड़े ही निष्ठां एवं भक्ति से करती हैं. मिथिला में इस दिन का एक और महत्त्व है. इस दिन से बहनें अपने भाईयों की मंगल कमाना के लिए सामा चकेबा खेलती हैं. सामा चकेबा में मिटटी की मूर्तियाँ बनती है और प्रतिदिन रात में खेला जाता है. 

Friday, October 28, 2011

भ्रातृद्वितीया


हिन्दुओं में किस्सा प्रचलित है कि यम की बहन यमुना थी. यमुना अपने भाई को कई बार आने का निमंत्रण दी परन्तु संयोग वश यम नहीं जा पाते. आख़िरकार एक दिन यम अपनी बहन यमुना के पास पहुँच ही गए और वह दिन कार्तिक शुक्ल द्वितिया था. यमुना ने अपने भाई का खूब स्वागत किया और खुद तरह तरह के व्यंजन बनाकर अपने भाई यम को खिलाई. यम प्रसन्न हो यमुना से वर मांगने को कहा. बहन ने भाई से वरदान माँगा कि " जो भाई अपनी बहन के घर इस दिन जायेगा उसे नरक या अकाल मृत्यु प्राप्त नहीं हो". तब से इस दिन को भ्रातृद्वितिया के रूप में मनाया जाता है. 

कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भारत वर्ष के हर राज्य में भाई के दिन के रूप में मनाई जाती है. कहीं भाई दूज कहते हैं तो कहीं भाई फोटा(तिलक). मिथिला में इस पर्व को भ्रातृद्वितिया कहते हैं. इस दिन भाई अपनी बहन के यहाँ जाता है. जिसे मिथिला में न्योत (न्योता) लेना कहते हैं. इस दिन बहनों को अपने भाइयों के आने का इंतज़ार रहता हैं. बहनें अपने आंगन में अरिपन देकर भाई के लिए आसन बिछा, एक पात्र में सुपाड़ी,लौंग, इलाइची,पान का पत्ता, कुम्हर( जिससे पता बनता है उसका फूल) का फूल और सिक्का डालकर रखती हैं. साथ ही एक कटोरे में पिठार( गीला पिसा हुआ चावल), सिन्दूर और एक लोटे में जल भी रखती हैं. 

भाई दोनों हाथों को जोड़कर आसन पर बैठता है और बहन उसके हाथों पर पिठार लगा हाथों में पान, सुपाड़ी   इत्यादि दे न्योत लेती हैं और बाद में उसे उस पात्र में गिरा हाथ धो देती हैं. इस तरह से तीन बार न्योत लेती है और भाई को पिठार और सिन्दूर का तिलक लगा मिठाई खिला देती हैं. अगर भाई बड़ा हो तो उसे पैर छूकर प्रणाम करती हैं और छोटा हो तो भाई बहन के पैर छूकर प्रणाम करता है. भाई बहन के प्यार का अनूठा पर्व है भ्रातृद्वितिया. 

आजकल के भागदौड़ की जिनदगी में समयाभाव की वजह से भाइयों का आना जाना कम तो हुआ है परन्तु टेलीफ़ोन की सुविधा ने इस कमी को कम तो नहीं किया पर थोड़ी बहुत संतुष्टि अवश्य मिलती है. सभी अपने भाई बहनों से कम से कम बातें तो कर ही लेते हैं और आशीर्वाद अवश्य देते हैं. 

Sunday, October 16, 2011

भगवती गीत (भय हरण कालिका )


"भय हरण कालिका"

जय जय जग जननि देवी
सुर नर मुनि असुर सेवी
भुक्ति मुक्ति दायिनी भय हरण कालिका।
जय जय जग जननि देवी।

मुंडमाल तिलक भाल 
शोणित मुख लगे विशाल 
श्याम वर्ण शोभित, भय हरण कालिका।
जय जय जग जननि देवी ।

हर लो तुम सारे क्लेश 
मांगूं नित कह अशेष 
आयी शरणों में तेरी, भय हरण कालिका ।
जय जय जग जननि देवी ।

माँ मैं तो गई हूँ हारी 
 माँगूं कबसे विचारी 
करो अब तो उद्धार तुम, भय हरण कालिका ।  
जय जय जग जननि देवी ।

-कुसुम ठाकुर-


Thursday, October 6, 2011

Aparajita: The Favourite Flower Of The Goddess Durga (Madhubani Painting Style)

अपराजिता



मधुबनी पेंटिंग 

Saturday, October 1, 2011

Kalash in Madhubani Painting

शुभ कलश : ई एकटा नब प्रयास अछि | जेना कोहवर में शुभ वस्तुक  समावेश रहैत अछि तहिना अहि में किछु शुभ वस्तुक समावेश कायल गेल अछि |अपना सब में जल स भरल कलश आ आमक पल्लव बहुत शुभ मानल जायत अछि| तकर अतिरिक्त दीप , माछ आदि के सेहो शुभ मानल जायत अछि | वीणा के सरस्वती देवी के प्रतीक मानल गेल अछि आ आठ टा आमक पल्लव अष्टविनायक के प्रतीक मानल गेल अछि | अहि चित्रकला के ईलिंग आर्ट ग्रुप के वार्षिक प्रदर्शनी में लगोल गेल छल जे कि संयोग स गणेश पूजा के समय में आयोजित छल |


 
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