भल हरि भल हरि भल तुअ, कला।
खन पित बसन खनहि बघछला ।।
खन पंचानन खन भुजचारि ।
खन शंकर खन देव मुरारि ।।
खन गोकुल भय चराई गाये ।
खन भिखि मांगिए डमरू बजाए ।।
खन गोविद भए लेअ महादान।
खनहि भसम भरू कांख बोकान ।।
एक सरीर लेल दुइ बास।
खन बैकुंठ खनहि कैलास।।
भनहि विद्यापति विपरीत बानि।
ओ नारायण ओ सुलपानि।।