Wednesday, February 8, 2017

भल हरि भल हरि(विद्यापति पद्य)


भल हरि भल हरि भल तुअ, कला।
खन पित बसन खनहि बघछला ।।

खन पंचानन खन भुजचारि ।
खन शंकर खन देव मुरारि ।।

खन गोकुल भय चराई गाये ।
खन भिखि मांगिए डमरू बजाए ।।

खन गोविद भए लेअ महादान।
खनहि भसम भरू कांख बोकान ।।

एक सरीर लेल दुइ बास।
खन बैकुंठ खनहि कैलास।।

भनहि विद्यापति विपरीत बानि।
ओ नारायण ओ सुलपानि।।

 
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