(आजु सs दुर्गा पूजा अछि तs सोचलहुं एहि बेर पुष्पांजलिक मन्त्र दs दियैक)
"पुष्पांजलि मन्त्र"
ॐ दुर्गे दुर्गे महामाये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
त्वं काली कमला ब्राह्मी त्वं जया विजया शिवा।।
त्वं लक्ष्मिर्विष्णुलोकेषु कैलाशे पार्वती तथा।
सरस्वती ब्रह्मलोके चेन्द्राणी शक्रपूजिता।।
वाराही नारसिंही च कौमारी वैष्णवी तथा।
त्वमापःसर्वलोकेषु ज्योतिर्ज्योतिःस्वरूपिणी।।
योगमाया त्वमेवाsसि वायुरूपा नभःस्थिता।
सर्वगन्धवहा पृथ्वी नानारूपा सनातनी।।
विश्वरूपे च विश्वेशे विश्वशक्तिसमन्विते।
प्रसीद परमानन्दे दुर्गे देवी नमोस्तुते ।।
नानापुष्पसमाकीर्ण नानासौरभसंयुतम्।
पुष्पाञ्जलिञ्च विश्वेसि गृहाण भक्तवत्सले।।
एष पुष्पांजलिः।
1 comment:
I loved the poetry and stanza
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