Saturday, July 31, 2010
Deviji episode: 3
एक बेर देवीजी विद्यालय आबी रहल छली त द्वार लग हुनका एकटा चिनिया बादाम बेचयवला बड उदास देखेलैन | हुनका स नहि रहल गेलैन | ओ ओकरा लग जा कय पुछलखिन "एही उदासी के की कारण" ? जवाब में जे सुनै भेटलैन ताहि स हुनकर मोन क्षोभ स भरी गेलैन | हुनकर विद्यालय के किछु छात्र ओकरा स चिनिया बादाम खा क पाई नहि देलकै | अगिला दिन ओ खोम्चावला गरीब छल | ओकर बड नुक्सान भेलै | ताहि ल क ओ बड दुखी छल |
देवीजी ओकरा प्रधानाध्यापक लग ल गेलखिन | प्रधानाचार्य के सेहो अपन विद्यार्थी सबहक ई कुकर्म बहुत क्षोभित केलकैन | ओ देवीजी के संग मिलिक उपद्रवी बच्चा सबके अपन अपन अभिभावक संगे बजेलखिन | सब उपद्रवी बच्चा सबके विद्यालय स निष्कासित कराय के बात भेल | तखन बच्चा सब माफ़ी मंगलक | देवीजी ओकरा सबके बुझेलखिन जे गरीबी द्वारे ओ व्यक्ति विद्यालय लग खुमचा लगाक दू पाई कमाइत अछि जाहि स ओकर परिवार चलैत छई | अहि घटना स ओकर बड हनी भेलै | ओकर खेने पिनाई तक के कष्ट भ गेलै |
तखन बच्चा सब अपन गलती के पश्चाताप करै के विचार बनेलक | देवीजी के आगया ल ओ सब टूटल खुमचा के मरम्मत केलक आ चंदा जमा क जतेक समान लुटने छल से किन क लौटेलक | सब कियो ई शपथ लेलक जे कहियो फेर एहेन काज नहिं करत आ गरीब के यथा संभव सहायता करत |
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1 comment:
अति सुंदर प्रस्तुति अछि।
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