भगवतीक गीत
जगदम्ब अहिं अवलम्ब हमर
हे माय अहाँ बिनु आस ककर । ....२
जँ माय अहाँ दुःख नय सुनबय,
त जाय कहु ककरा कहबय l
करू माफ़ जननि अपराध हमर ,
हे माय अहाँ बिनु आस ककर
जगदम्ब अहिं .................. ।
हम भरि जग सँ ठुकरायल छी
माँ अहिंक शरण में आयल छी ।
अछि बिच भंवर में नाव हमर
हे माय अहाँ बिनु आस ककर ।
जगदम्ब अहिं ................... ।
काली लक्ष्मी कल्याणी छी ,
दुर्गे तारा ब्रम्हाणी छी l
अछि पुत्र अहिंक बनल टुगर,
हे माय अहाँ बिनु आस ककर ।
जगदम्ब अहिं ..................... ।