बटगबनी
"कवि कोकिल विद्यापति "
मिथिला में शादी, उपनयन, मुंडन इत्यादि संस्कारों के अवसर पर किये गए रस्मों को पूरा करने के लिए औरतें झुण्ड बनाकर रास्ते में गाना गाती हुई जाती हैं, जो उसकी शोभा और बढा देती है। रास्ते में गाये गए गीतों को ही बटगबनी (रास्ते में गाए जाने वाले गीत ) कहते है । वैसे तो विद्यापति के अनेको गीत हैं जिसे उपनयन शादी मुंडन जैसे संस्कारों के अवसर पर गाई जाती है पर बटगबनी में सबसे " लोकप्रिय कुञ्ज भवन सँ ..... " है .
"कुञ्ज भवन सँ निकसलि रे "
कुञ्ज भवन सs निकसलि रे रोकल गिरिधारी
एकहि नगर बसु माधव हे जुनि करू बटमारी
छोरु कान्ह मोर आँचर रे फाटत नब सारी
अपजस होयत तs जगत भरि हे जनि करिअ उघारी
संगक सखी अगुआइलि रे हम एकसर नारी
दामिनि आए तुलाएलि हे एक राति अन्हारी
भनहि विद्यापति गाओल रे सुनु गुनमति नारी
हरिक सँग कछु डर नहीं हे तोहें परम गमारी
- कवि कोलिक विद्यापति -
कुञ्ज भवन सs निकसलि रे रोकल गिरिधारी
एकहि नगर बसु माधव हे जुनि करू बटमारी
छोरु कान्ह मोर आँचर रे फाटत नब सारी
अपजस होयत तs जगत भरि हे जनि करिअ उघारी
संगक सखी अगुआइलि रे हम एकसर नारी
दामिनि आए तुलाएलि हे एक राति अन्हारी
भनहि विद्यापति गाओल रे सुनु गुनमति नारी
हरिक सँग कछु डर नहीं हे तोहें परम गमारी
- कवि कोलिक विद्यापति -
अर्थ :
विद्यापति इन पंक्तियों में कहते हैं - राधा कुञ्ज भवन से निकल ही रही थी कि गिरधारी अर्थात श्री कृष्ण उनका रास्ता रोक लेते हैं। यह देख राधा कह उठती हैं ...हे कृष्ण हम नगर में रहते है इस तरह रास्ते में न रोकें। हे कान्हा मेरा आँचल छोड़ दें नहीं तो मेरी नई साड़ी फट जाएगी और मैं उघार हो जाऊँगी जिससे बहुत ही अपयस होगा। देखिये मेरी सहेलियाँ कितने आगे हो गई हैं और यहाँ मैं अकेली रह गई। राधा कान्हा से कहती हैं : एक तो अँधेरी रात उसपर बिजली चमक रही है अर्थात बारिश होने की संभावना है।विद्यापति कहते हैं ...हे गुणवती नारी तुम तो बिकुल ही गंवार हो । जब स्वयं कृष्ण तुम्हारे साथ हैं फिर डरने की क्या बात है।
7 comments:
शानदार पोस्ट
वाह वाह्……………क्या बात कही है……………बेहद सुन्दर्।
आभार इस प्रस्तुति के लिए!
* बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति!
'कुञ्ज भवन सs निकसलि रे रोकल गिरिधारी 'यह
अभिनव जयदेव के मेरे प्रिय पदों में से एक है।
*यदि आपके पास समय हो मेरे ब्लाग 'कर्मनाशा' पर नीचे दिए गए दो लिंक्स को देख लें\यहाँ मैंने विद्यापति के कुछ पदों की पुर्रचना प्रस्तुत की है; इस पर आपकी सम्मति मेरे लिए मूल्यवान साबित होगी:
http://karmnasha.blogspot.com/2010/06/blog-post_19.html
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http://karmnasha.blogspot.com/2010/06/blog-post_24.html।
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद !!
कुसुम जी विद्यापति को देखकर बहुत अच्छा लगा। उनका काव्य और उसका अर्थ भी। पर एक बात बताईए क्या सचमुच यहां गमारी का अर्थ गंवार ही है। क्योंकि एक तरफ तो कृष्ण राधा को गुणवती नारी कह रहे हैं और तुरंत ही गंवार भी। ऐसा संभव नहीं लगता। शायद इसकी पुनर्व्याख्या की आवश्यकता है।
Kushum Jee, aha sab ta mithila ke baare me etek uplabdh kai deliye je aab mithila baasi ke hindi aur english ke story par dhyan bhi nahi jetain.
Aha ka blog hum first time visit kelau nah hamra bahut badhiya lagal bahut bahut dhanyabaad.
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