"अपनी बड़ाई से डरते रहोगे" 
भजन श्याम सुन्दर का करते रहोगे
तो संसार सागर से तरते रहोगे 
कृपानाथ वे शक मिलेंगे किसी दिन 
जो सत्संग पथ से गुजरते रहोगे 
तो संसार .................................
चढोगे ह्रदय पर सभी के सदा तुम 
जो अभिमान गिरी से उतरते रहोगे 
तो संसार...............................
न होगा कभी क्लेश मन को तुम्हारे 
जो अपनी बड़ाई से डरते रहोगे 
तो संसार ..............................
छलक ही पड़ेगा दया सिन्धु का दिल
जो दृग बिंदु से रोज भरते रहोगे
तो संसार..............................
छलक ही पड़ेगा दया सिन्धु का दिल
जो दृग बिंदु से रोज भरते रहोगे
तो संसार..............................

