मोहन प्रेम बिना नही मिलता चाहे करलो कोटि उपाय
मिले न जमुना सरस्वती में मिले न गंग नहाय
प्रेम सरोवर में जब डूबे प्रभु का अलख जगाय
मोहन प्रेम बिना नहीं ......……...................
मिले न परबत में निर्जन में मिले न वन भरमाय
प्रेम बाग घूमे तो हरि को घट में ले पघराय
मोहन...................................................
मिले न पंडित को ज्ञानी को मिले न ध्यान लगाए
ढाई अक्षर प्रेम पढ़े तो नटवर नयन समाय
मोहन प्रेम बिना नही..................................
मिले न मंदिर में मूरत में मिले न ध्यान लगाय
प्रेम बिंदु दृग से टपके तो तुरत प्रकट हो जाये
मोहन प्रेम बिना नहीं ..............................
मिले न मंदिर में मूरत में मिले न ध्यान लगाय
प्रेम बिंदु दृग से टपके तो तुरत प्रकट हो जाये
मोहन प्रेम बिना नहीं ..............................