Wednesday, February 28, 2018

शम्भु स्तुति (शिव स्तोत्र)


shambhu-stuti


नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥

नमामि देवं परमव्ययंतं उमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्रविदारणं तं नमामि रोगापहरं नमामि ॥२॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥

नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं नमामि नित्यं क्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्या भयंकरं वापि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥५॥

नमामि वेदत्रयलोचनं तं नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसद्व्यतीतं नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं नमामि रूपाणि बहूनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥

 यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्वं नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥

नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं उमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥

नमामि देवं भवदुःखशोकविनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गंगाधरमीशमीड्यम् उमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादिसुरासुरैरर्चितपादपद्मम ।
नमामि देवीमुखवादनाना मिक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत ॥११॥

पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैर्विचित्रपुष्पैर्­विविधैश्च मन्त्रैः ।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥१२॥

Saturday, February 24, 2018

लिंगाष्टकम



ब्रह्ममुरारी सुरार्चित लिंगम निर्मल भाषित शोभित लिंगम ।
जन्मजदुःख विनाशक लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।।

देवमुनिप्रवरार्चित लिंगम कामदहन करुणाकर लिंगम ।
रावणदर्प विनाशन लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।।

सर्वसुगंधि सुलेपित लिंगम बुद्धिविवर्धन कारण लिंगम ।
सिद्धसुरासुरवन्दित लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।।

कनक महामणिभूषित लिंगम फणिपतिवेष्टित शोभित लिंगम ।
दक्षसुयज्ञ विनाशन लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।।

कुंकुमचन्दन लेपित लिंगम पंकजहार सुशोभित लिंगम ।
सञ्चितपाप विनाशन लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।।

देवगणारचित सेवित लिंगम भावैरभक्तिभिरेव च लिंगम ।
दिनकर कोटिप्रभाकर लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।।

अष्टदलोपरि वेष्टित लिंगम सर्वसमुद्भवकारण लिंगम ।
अष्टदरिद्रविनाशित लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।।

सुरगुरुसुरवर पूजित लिंगम सुरवनपुष्प सदार्चित लिंगम ।
परात्परंपरमात्मक लिंगम तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम ।। 

लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पढेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ।।

Friday, February 23, 2018

शिवतांडव स्तोत्र (शिव स्तोत्र )



जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् |
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||१||

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि |
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||२||

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे |
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ||३||

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे |
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||४||

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः |
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ||५||

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् |
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ||६||

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके |
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ||७||

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः |
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ||८||

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् |
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ||९||

अखर्व(अगर्व) सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् |
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ||१०||

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ||११||

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम ||१२||

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् |
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ||१३||

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् |
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ||१४||

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः||१५||

Thursday, February 22, 2018

शिवदानी तू न जा न जा

 

शिवदानी तु न जा न जा, मन में तु बस जा 
हरहर बमबम शब्द सुना, डिमडिम डमरू बजा बजा
शिवदानी तु न जा न जा..…..........

नित्य भोर बेलपत्र चढ़ाऊँ भांग धथुर खोजि लाऊं
जैसे मानो वैसे मनाऊं हर हर भोले न जा
शिवदानी तु न जा न जा............

करुणाकर करुणा बरसाओ अमृत पान करा
नित्य रामचंद्र तिलक लगावें तु क्यों भस्म लगा
शिवदानी तु न जा न जा...........

 
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