Saturday, January 7, 2012

शंकरं संप्रदम (तुलसीदास स्तोत्र )


"शिव स्तोत्र"

शंकरं, सम्प्रदम, सज्जनानंददं , शैल-कन्या-वरं, परमरम्यं 
काम-मद-मोचनं, तामरस-लोचनं, वामदेवं, भजे भावगम्यं 
कंबु-कुंदेंदु-कर्पूर-गौरं  शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं  
सिद्ध-सनकादि-योगीन्द्र-वृन्दारका, विष्णु-विधि-वंद्ध चरणारविंदं 
ब्रह्म-कुल -वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट-वेषं, विभुं, वेदपारं 
नौमि करुणाकरं, गरल-गंगाधरं, निर्मलं, निर्गुणं , निर्विकारं 
लोकनाथन शोक-शूल-निर्मूलिनं, शूलिनं मोह -तम-भूरि-भानुं 
कालकालं, कालातीतमजरं, हरं, कठिन-कलिकाल-कानन क्रिशानुं 
तज्ञमज्ञान-पाथोधि-घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं  
प्रचुर-भव-भंजनं, प्रणत-जन-रंजनं, दास तुलसी शरण सानुकूलं 

-गोस्वामी तुलसीदास-


1 comment:

Harveer said...

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