Tuesday, March 1, 2011

गौरा तोर अंगना ( विद्यापति पद )


फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी को महा शिव रात्रि मनाया जाता है. इस दिन देवाधि देव शिव शंकर का माँ गौरी से विवाह हुआ था. अतः शिव विवाह के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व है. जिसे हर क्षेत्र के लोग बड़े ही श्रद्धा से मनाते हैं. कहते हैं भोले नाथ बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं अतः लोग इस दिन व्रत रख भोले नाथ की प्रिय वस्तु  भांग धतुरा और बेल पत्र चढ़ा पूजा अर्चना करते हैं. 

विद्यापति की भक्ति से प्रसन्न हो साक्षात भोले नाथ उनकी चाकरी करने उनके पास आ गए थे. शिवरात्रि के अवसर पर विद्यापति का यह गीत:  

"गौरा तोर अंगना"

गौरा तोर अंगना,बर अजगुत देखल तोर अंगना।
एक दिस बाघ सिंह करे हुलना ।
दोसर बरद छैन्ह सेहो बओना।।
हे गौरा तोर ................... ।


कार्तिक गणपति दुई चेंगना।
एक चढथि मोर एक मुस लदना   ।।
हे गौर तोर ............ ।

पैंच उधार मांगए गेलहुँ अंगना ।
सम्पति देखल एक भाँग घोटना ।।
हे गौरा तोर ................ ।

खेती न पथारी शिव गुजर कोना ।
जगतक दानी थिकाह तीन-भुवना।।
हे गौरा तोर ............... ।

भनहि विद्यापति सुनु उगना ।
दरिद्र हरन करू धएल सरना ।।

"कवि कोकिल विद्यापति"

इन पंक्तियों में विद्यापति कहते हैं : हे गौरी ! आपके आंगन में अजीब बात देखा. एक तरफ बाघ, सिंह हुलक रहे थे, दूसरी तरफ एक बौना बैल भी था. कार्तिक और गणपति नाम के दो बच्चों को भी देखा. एक मयूर पर चढ़ा हुआ तो दूसरा मूस यानि चूहे पर लदा हुआ था. उधार माँगने  के उदेश्य से गया था, मगर संपत्ति के नाम पर मात्र भांग घोटना (भांग घोटने वाला ) दिखा. शिव खेती नहीं करते बस भांग में मस्त रहते हैं. सच, वह तो दानी हैं, संसार के तीनो भुवन. विद्यापति कहते हैं - हे शिव ! मैं आपकी शरण में आया हूँ, मेरा दारिद्र हरण करें.


4 comments:

vandana gupta said...

बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है भोलेनाथ के परिवार का।

Pankaj Trivedi said...

जय भोलेनाथ... बहुत सुन्दर वर्णन और शिवाजी की प्रतिमा का चित्र भी....

मनोज कुमार said...

महाशिवरात्रि के अवसर पर ई गीत पढि कय मोन आनंदित भेल।

Anonymous said...

badd neek geet laagal.......aa shiv ji k mahima k bakhaan v aatyant sundar kelaun.......

 
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