Wednesday, December 29, 2010

माँ मैं तो हारी आई शरण तुम्हारी

 

  माँ मैं तो हारी, आई शरण तुम्हारी

माँ मैं तो हारी, आई शरण तुम्हारी,
अब जाऊँ किधर तज शरण तुम्हारी 


दर भी तुम्हारा लगे मुझको प्यारा,
 तजूँ मैं कैसे अब शरण तुम्हारी 
माँ......................................


मन मेरा चंचल, धरूँ ध्यान कैसे,
बसो मेरे मन, मैं शरण तुम्हारी
माँ......................................


जीवन की नैया मझधार में है, 
पार उतारो मैं शरण तुम्हारी
माँ................................. 


तन में न शक्ति, करूँ मन भक्ति 
अब दर्शन दे दो मैं शरण तुम्हारी 
माँ.............................................

- कुसुम ठाकुर - 

Tuesday, December 14, 2010

देवी स्तुति (जय जय जगजननि देवी)


"देवी स्तुति"

जय जय जगजननि देवी सुर-नर-मुनि-असुर-सेवी ,
भुक्ति मुक्ति दायिनी, भय-हरण कालिका 

मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि,
ताप-तिमिर-तरुण-तरणि-किरणमालिका 

वर्म, चरम कर कृपाण, शूल-शेल-धनुष-बाण,
धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका 

पूतना-पिशाच-प्रेत-डाकिनि-शाकिनि-समेत,
भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगालि-जालिका 

जय महेश-भामिनी, अनेक-रूप-नामिनी,
समस्त-लोक-स्वामिनी, हिमशैल-बालिका

रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम,
देहु ह्वै प्रसन्न  पाहि प्रणत-पालिका  


Saturday, December 11, 2010

अभिनव पल्लव


"कवि कोकिल विद्यापति"

अभिनव पल्लव बैसक देल 
धवल कमल फुल पुरहर भेल 

करू मकरंद मंदाकिनि पानी 
अरुन असोग दीप दहु आनि

माई हे, आज दिवस पुनमंत
करिअ चूमाओन राय बसंत 

संपून सुधानिधि दधि भल भेल 
बहामी बहामी भमर हकारय गेल 

केसु कुसुम सिंदूर सम भास् 
केतकि धूलि बिथरहु पटबास

भनइ  विद्यापति कवि कंठहार
रस बुझ सिवसिंह सिव अवतार 

उपरोक्त पंक्तियों में कवि विद्यापति बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए कहते हैं कि : नए पल्लव को आसन के रूप में रखा गया है तथा श्वेत कमल को कलश के रूप में . पुष्प रस (मकरंद) गंगाजल और अशोक के नए लाल कोमल पत्ते को दीप के रूप में सजा दिया गया है. वे कहते हैं हे, दाई माई आओ इस शुभ दिन में राजा बसंत का चुमावन की जाए. पूनम का चाँद दही का कम कर रहा है. भंवरा घूम घूम कर सबको हकार (निमंत्रण) दे रहा है. पलास (टेसू ) का फूल सिंदूर जैसा लग रहा है. केतकी (केवडा) का पराग सुगन्धित चूर्ण के रूप में प्रयोग हो रहा है . कवि कंठहार कहते हैं कि इसका रस शिव अवतार राजा शिव सिंह समझते हैं. 
  


 
Share/Save/Bookmark