Friday, November 27, 2009

kohbar



कोहवर
मिथिलाँचल में कोहवर सब सँ प्रसिद्ध चित्रकला अछि जाहि केर बिना कोनो विवाह संपन्न नहिं होइत छैक । कनिया बरक कोठली के सेहो कोहबर कहल जाइत छैक आ एहि प्रकारक चित्रकला कनिया बरक कोठली में लगायल जाइत छैक जाहि केर अपन विशेष महत्व होइत छैक| कोहबर(चित्र ) के बीच में पुरैन होइत अछि जाहि केर सांकेतिक अर्थ छैक स्त्री-पुरुष के मिलन आ बाँसक गाछके तात्पर्य अछि वंश में वृद्धि | काछु होइत छैक दीर्घायुक प्रतीक आ माछ शुभ अपेक्षाक प्रतीक| मिथिलांचल में विवाह एक धार्मिक कार्य अछि जाहि में अन्य देवी देवताक संग नवग्रह पूजन सेहो होयत अछि| पूजा में प्रयोग होमय वला सामग्री शंख, पुरहर, पातिल, पटिया आदि के चित्रांकित कयल जाइत छैक ।
कनिया बर सहित बिधकरी सेहो बड महत्व छैक| मीठ बोली जे कि मिथिलांचलक कनिया केर सबस विशेष गहना अछि ताहि केर द्योतक सुग्गा-मैना आदि पक्षी एवम पुरुष के सुन्दरताक प्रतीक मोर एवम नवव्याहताक प्रति आकर्षित पुरुष भावके भ्रमर परिलक्षित करैत अछि | अंततः अपन सासुर दिस विदा कनियाक चित्र सेहो बनायल जायत अछि| मधुबनी शैली के इ चित्रकला हिन्दू विवाह के आत्मा के अंकित करैत अछि जे कि जीवन के मूलभूत सिद्धांत अछि | धर्मं आ परंपरा में परिवर्तन अयला सँ जीवनक मूल सिद्धांत नहिं बदलल जा सकैत अछि| ताहि कारण बेसी मिथिलावासी अपन सांस्कृतिक धरोहर के प्रति बहुत सचेत रहैत  छथि | मुदा अखनो एहि कला के उचित सम्मान आ स्थान नहिं भेंटि रहल अछि |












Wednesday, November 25, 2009

Durga Devi

चित्र में नवदुर्गाके चित्रित कयल गेल अछि । प्रतिप्रदा सs नवमी तक
जाहि रूप के पूजा होइत छैक तकर क्रमबद्ध
रूप देल गेल अछि । इ सब सँ
पहिने २००८ के दुर्गा पूजा में विदेह पर
प्रकाशित भs चुकल अछि । प्रत्येक
देवी के हाथक संख्या , अस्त्र -
शस्त्र केर प्रकार पर विशेष ध्यान देल गेल अछि ।
ताहि केर अतिरिक्त वस्त्र केर
रंग, पूजा में जाहि रंग के जाहि दिन महत्व होएत
छैक ताहिकेर उपयोग कयल गेल छैक|











Saturday, November 21, 2009

पुरैन


  
 
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