Friday, September 18, 2009

भगवती स्तोत्र (अपराध सहस्राणि)

माँ दुर्गा

अपराध सहस्राणि क्रियन्तेsहर्निशं मया ।
दासोsयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरी ।।

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरी ।।

मंत्रहींनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरी ।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे ।।

अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत ।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रम्हादयः सुराः ।।

सापराधोsस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके ।
इदानीमनुकम्प्योsहं यथे च्छसि तथा कुरु ।।

अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी ।।

कामेश्वरी जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे ।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि ।।

गुह्यातीगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् ।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरी ।।

5 comments:

Mithilesh dubey said...

बहुत खुब, समझ तो कम आया लेकिन लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई..........

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

श्रध्धा और भक्ति से भरा
ये माँ भवानी के प्रति सदीयों से
चला आ रहा अनुष्ठान ,
शक्ति उपासना का पर्व ,
नव रात्र
आपके जीवन में ,
हर्ष उल्लास व ऊर्जा लाये ...
इस शुभेच्छाओं के साथ ..

SACCHAI said...

" maa durga stotra " ....bahut hi badhiya . bhaut accha laga ..."

----- eksacchai {AAWAZ}

http://eksacchai.blogspot.com

http://hindimasti4u.blogspot.com

Unknown said...

it is really awesome.
this help to go dip in the devotion of god(Mata rani).

Anonymous said...

इसे पढ़ने के बाद ऐसा लगता है मानो जीवन के सभी कष्ट नष्ट हो गए। जय माता दी।

 
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