Sunday, August 16, 2009

दूर्वाक्षत मंत्र

मैथिल विवाह मे दूर्वाक्षतक बड महत्व छैक आ चुमाओन जतेक बेर होयत छैक एहि मंत्रक काज परैत छैक। आय काल्हि दूर्वाक्षतक मंत्र याद रखनाइ एकटा समस्या भs गेल छैक खास कs शहर मे। ओना त पञ्चांग मे मंत्र रहैत छैक मुदा कतहु कतहु पञ्चांग नहि रहैत छैक आ नेट अवश्य रहैत छैक।

दूर्वाक्षतक मंत्र:

आब्रह्मन ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्यौsतिव्याधि महारथी जायताम दोघ्री धेनुर्वोढा sनड्वानाशुः सप्ति पुरन्ध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवाsस्ययजमानस्य वीरोजायाताम निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न औषधयः पच्यन्ताम योगक्षेमोनः कल्पताम् मंत्रार्था: सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रुणां बुद्धिनाशोsस्तु मित्राणामुदस्तव।

Thursday, August 13, 2009

कनक भूधर ( भगवती स्तोत्र)


कवि कोकिल विद्यापति


कनक-भूधर-शिखर-बासिनी
चंद्रिका-चय-चारु-हासिनि
दशन-कोटि-विकास-बंकिम-
तुलित-चंद्रकले ।।

क्रुद्ध-सुररिपु-बलनिपातिनि
महिष- शुम्भ-निशुम्भघातिनि
भीत-भक्त-भयापनोदन -
पाटव -प्रबले।।

जे देवि दुर्गे दुरिततारिणि
दुर्गामारी - विमर्द -कारिणि
भक्ति - नम्र - सुरासुराधिप -
मंगलप्रवरे ।।

गगन - मंडल - गर्भगाहिनि
समर - भूमिषु - सिंहवाहिनि
परशु - पाश - कृपाण - सायक -
संख -चक्र-धरे ।।

अष्ट - भैरवी - सँग - शालिनी
स्वकर - कृत - कपाल- मालिनि
दनुज - शोणित -पिशित - वर्द्धित-
पारणा-रभसे।।


संसारबन्ध - निदानमोचिनी
चन्द्र - भानु - कृशानु - लोचनि
योगिनी - गण - गीत - शोभित -
नित्यभूमि - रसे ।।

जगति पालन - जन्म - मारण -
रूप - कार्य - सहस्त्र - कारण -
हरी - विरंचि - महेश - शेखर -
चुम्ब्यमान - पड़े। ।

सकल - पापकला - परिच्युति-
सुकवि - विद्यापति - कृतस्तुति
तोषिते - शिवसिंह - भूपति -
कामना - फलदे।।










Wednesday, August 12, 2009

गौरा तोर अंगना (महेशवाणी आ नचारी)



कवि कोकिल विद्यापति


गौरा तोर अंगना।
बर अजगुत देखल तोर अंगना।

एक दिस बाघ सिंह करे हुलना ।
दोसर बरद छैन्ह सेहो बौना।।
हे गौरा तोर ................... ।


कार्तिक गणपति दुई चेंगना।
एक चढथि मोर एक मुसना।।
हे गौर तोर ............ ।


पैंच उधार माँगे गेलौं अंगना ।
सम्पति मध्य देखल भांग घोटना ।।
हे गौरा तोर ................ ।

खेती न पथारि शिव गुजर कोना ।
मंगनी के आस छैन्ह बरसों दिना ।।
हे गौरा तोर ............... ।

भनहि विद्यापति सुनु उगना ।
दरिद्र हरन करू धएल सरना ।।

यज्ञोपवीत मंत्र

बाजसनेयी केर यज्ञोपवीत मंत्र

ॐ यज्ञोपवीतम परमं पवित्रं प्रजा पतेर्यत्सहजं पुरस्तात् । आयुष्यमग्रयं प्रतिमुंञ्च शुभ्रं। यज्ञोपवितम् बलमस्तुतेज:।।


छन्दोग केर यज्ञोपवीत मंत्र


ॐ यज्ञो पवीतमसि यज्ञस्य त्वोपवीतेनोपनह्यामि।


पंचांग

मैथिली पंचांग
सन् १४१७ साल (अंग्रेजी २००९-२०१० ई.)
विक्रम सं. - २०६६ - ६७



Festivals this year 1417 Saal (8 July 2009 - 26 July 2010)
Festival Date

Tithi Duration IST Hours

Remarks
From To
Mauna Panchami Madhushravani begins 12 Jly (11/7)2051 (12/7)2148 In Mithila this day is celebrated
as Nag Panchami.
Madhushravani ends 24 July (24/7)0328 (25/7)0116 Special day for newly married
Nag Panchami 26 Jul (25/7)2320 (26/7)2149
Raksha Vandhan 5 Aug (5/8)0311 (6/8)0411
Krishnastami 14 Aug (13/8)0935 (14/8)0712 Krishna Jayanti Vrat is on 13 Aug.
Hartalika (Teej) 23 Aug (22/8)1122 (23/8)0946
GaneshChauth
ChauthChandra
23 Aug
(23/8)0946 (24/8)0834 Morning pooja of Ganesh
Pradosh pooja of Chandrama
Karma Dharma Ekadashi 31 Aug (30/8)1113 (31/8)1306
Anant Caturdashi 3 Sep (2/9)1710 (3/9)1859
Pitri Paksha begins 5 Sep (4/9)2029 (5/9)2133
Vishwakarma Pooja 17Sep


Jimutbahan Brat (Jitia) 11 Sep (11/9)1752 (12/9)1545 Mothers fast on this day for the welfare of their sons.
Matri Navami 13 Sep (12/9)1544 (13/9)1338
Pitri Paksha ends 18 Sep (18/9)0152 (18/9)2356
Kalashsthapan 19 Sep (18/9)2356 (19/9)2220
Mahastami 26 Sep (25/9)2215 (26/9)2358
Maha Navami 27 Sep (26/9)2358 (28/9)0146
Vijaya Dashami 28 Sep (28/9)0146 (29/9)0353
Kojagara 3 Oct (3/10)1026 ( 4/10)1106 Pooja in Pradosh(evening)
Dhanteras 15 Oct (15/10)1451 (16/10)1320
Chaturdashi(ChhotiDivali) 16 Oct (16/10)1320 (17/10)1147
Deepavali 17 Oct (17/10)1147 (18/10)1034 Pooja in Pradosh(evening)
Bhratridwitiya 20 Oct (19/10)0949 (20/10)0934 Sisters perform 'naut' to brothers
Chhath (Sandhya) 23 Oct (23/10)1152 (24/10)1337 Kharna on previous day and parna on next
Akshyay Navami 27 Oct (26/10)1756 (27/10)1743
Devotthan Ekadashi 29 Oct (28/10)2137 (29/10)2303
Kartik Poornima 2 Nov (2/11)0110 (3/11)0048 Sama Bisarjan/ Guru Nanak Jayanti
Ravi vrat arambh 22 Nov

Sunday
Makara Sankranti
Teela Sankranti
14 Jan


Tusari begins
Naraknivaran chaturdashi 13 Jan (13/1)0822 (14/1)1000 Pradosh
Basant Panchami 20 Jan (19/1)1948) (20/1)2124)
Mahashivaratri 12 Feb (12/2)0251 (13/2)0505 Fast for the day, Mahadeo pooja in pradosh
Poornima/Holika dahan(Fagua) 28 Feb (28/2)0032 (28/2)2234 Holika dahan in previous night.
Fagua in Mithila & Dol in Bengal
Holi (1 of Chaitra) 1 Mar (28/2)2234 (1/3)2000 Also new year day
Vikram sambat 2067 16 Mar

Begins at 0140 IST
Ram Navami 24 Mar (23/3)2326 (24/3)2132
Mesha Sankranti (Satua) 14 April

Shaka 1930 begins
Jurishital 15 April


Akshaya Tritiya 16 May ( 16/5)0441 (17/5)0255
Ravi Brat Ant 25 Apr

Sunday
Vat Savitri 12 Jun (11/6)1746 (12/6)1640
Hari Sayan Ekadashi 21 Jul (21/7)0419 (22/7)0329
Guru Poornima 25 Jul (6/7)1147 (7/7)1338



विवाह,उपनयनक दिन


Marriage: (Saurath Sabha: Jul 8-Jul 14 2010) Upnayan Dwiragman Mundan Grih arambh Griha pravesh
July 09



8,10,31 27,30,31
August 09



7,8,10 1,3,5
October 09



28,29 22,28,29,31
Nov 09 19,22,23,27
18,19,27 18,23 2,5,28 23,28
Dec 09

3,4 3 2,3
January 10


18

February 10

15,17,18,21,22,24,25,26 3,15,18,25,26 25,26 18,24.25,26
March 10

1,4,5 3,5 3,5
April 10





May 10





June 10 2,3,6,7,13,17,18,20,21,23,24,25,27,28,30 21,22

21,26,28 17,21
July 10 1,8,9,14

1 21,26 21,23


Sunday, August 9, 2009

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय ( पंचाक्षर )


त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम
उर्वारुक मिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ।


कहते हैं शिव जी अर्थात भोला बाबा या भोले दानी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें यदि प्रतिदिन जल चढाई जाय तो वो उससे भी प्रसन्न रहते है। वैसे तो लोगों का अलग अलग मत है पर यदि भोला बाबा को मन से अपने अपने घरों में भी याद की जाय तो वे अपने भक्तों को निराश नहीं करते। 




(1 )
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मंगरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुध्याय दिगम्बराय
तस्मै न काराय नमः शिवाय ।।
मंदा किनी सलिल चन्दन चर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथ नाथ महेश्वराय।
मंदार पुष्प बहु पुष्प सुपूजिताय
तस्मै म काराय नमः शिवाय ।।
शिवाय गौरी बदनाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षा ध्वरनाशकाय।
श्री नील कंठाय वृषध्वजाय
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ।।
वसिष्ठ कुम्भो द्भव गौतमार्य-
मुनीन्द्र देवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्क वैश्वा नरलोचलाय
तस्मै व काराय नमः शिवाय।।
यक्षस्व रूपाय जटाधराय
पिनाक हस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै य काराय नमः शिवाय ।।
पंचाक्षर मिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिव लोक म़वा प्नोति शिवेन सः मोदते।।

Wednesday, August 5, 2009

रक्षा बंधन

रक्षा बंधन केर मंत्र

येन बन्धो बलि राजा दान वेन्द्रो महाबलः ।
तेनत्वा प्रतिबधनामि रक्षे माचल माचल: ।।

Sunday, August 2, 2009

भोला बाबा के गीत


मिथिला में शिव आ शक्ति केर पूजा होइत छैक। कोनो पाबनि हो बियाह हो कि उपनयन, बिना भोला बाबा आ भगवती के गीत के ओ संपन्न नहि भs सकैत छैक। मोन भेल, जे सब net प्रयोग करैत छथि हुनका लोकनि के लेल किछु भगवतीक गीत, महेशवाणी आ नचारीक संग्रह एकहि ठाम रहे तs हुनका लोकनि के सुविधा भs जयतैन्ह।


महेशवाणी आ नचारी
(१)

कखन हरब दुःख मोर
हे भोलानाथ।
दुखहि जनम भेल दुखहि गमाओल
सुख सपनहु नहि भेल हे भोला ।
एहि भव सागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु करुआर ;हे भोलानाथ ।
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय बर मोहि, हे भोलानाथ।

(२)

हम नहि आजु रहब अहि आँगन
जं बुढ होइत जमाय, गे माई।
एक त बैरी भेल बिध बिधाता
दोसर धिया केर बाप।
तेसरे बैरी भेल नारद बाभन ।
जे बुढ अनल जमाय। गे माइ ।।

पहिलुक बाजन डामरू तोड़ब
दोसर तोड़ब रुण्डमाल ।
बड़द हाँकि बरिआत बैलायब
धियालय जायब पदायागे माइ । ।

धोती लोटा पतरा पोथी
सेहो सब लेबनि छिनाय।
जँ किछु बजताह नारद बाभन
दाढ़ी धय घिसियाब, गे माइ। ।

भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि
दिढ़ करू अपन गेआन ।
सुभ सुभ कय सिरी गौरी बियाहु
गौरी हर एक समान, गे माइ।।

(३)

हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी ।...2
नारद बभनमा सs केलैन्ह बिचारी
बर बूढा लयला भिखारी । ...२
हिमाचल .................२

ओहि बुढ़वा के बारी नय झारी
पर्वत के ऊपर घरारी..........2
हिमाचल किछुओ ने केलैन्ह बिचारी।.......2

भनहि विद्यापति सुनु हे मनाइन
इहो थिका भंगिया भिखारी.........2
हिमाचल किछुओ नय केलैन्ह बिचारी।.....2

(४)

भल हरि भल हरि भल तुअ, कला।
खन पित बसन खनहि बघछला ।।

खन पंचानन खन भुजचारि ।
खन शंकर खन देव मुरारि ।।

खन गोकुल भय चराई गाये ।
खन भिखि मांगिए डमरू बजाए ।।

खन गोविद भए लेअ महादान।
खनहि भसम भरू कांख बोकान ।।

एक सरीर लेल दुइ बास।
खन बैकुंठ खनहि कैलास।।

भनहि विद्यापति विपरीत बानि।
ओ नारायण ओ सुलपानि।।

(५)

आजु नाथ एक व्रत महा सुख लागल हे।
तोहे सिव धरु नट भेस कि डमरू बजाबह हे। ।
तोहे गौरी कहैछह नाचय हमें कोना नाचब हे।।
चारि सोच मोहि होए कोन बिधि बाँचब हे।।
अमिअ चुमिअ भूमि खसत बघम्बर जागत हे।।
होएत बघम्बर बाघ बसहा धरि खायत हे।।
सिरसँ ससरत साँप पुहुमि लोटायत हे ।।
कातिक पोसल मजूर सेहो धरि खायत हे।।
जटासँ छिलकत गंगा भूमि भरि पाटत हे।।
होएत सहस मुखी धार समेटलो नही जाएत हे।।
मुंडमाल टुटि खसत, मसानी जागत हे।।
तोहें गौरी जएबह पड़ाए नाच के देखत हे।।
भनहि विद्यापति गाओल गाबि सुनाओल हे।।
राखल गौरी केर मान चारु बचाओल हे।


 
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